वह पिघलता है और ढलता है चाकू में तलवार में बन्दूक में सुई में
और छेनी-हथौड़े में भी
उसी से कुछ लोग लड़ते हैं भूख से भूखे लोगों के खिलाफ खूनी लड़ाइयाँ भी उसी से लड़ी जाती हैं
कई बार फर्क करना मुश्किल होता है लोहे और आदमी में।
हिंदी समय में विमलेश त्रिपाठी की रचनाएँ